एक बार फिर से अनिरुद्ध कुमार उर्फ़ देवानंद आरटीआई कार्यकर्ता पटोरी क्षेत्र में चर्चा का विषय बने हैं। उनको अक्टूबर 2021 में कोविड टीका नहीं लेने के कारण बिहार मुख्यमंत्री जनता दरबार में जाने से रोका गया था। जिसकी शिकायत पर मुख्यमंत्री महोदय द्वारा कार्रवाई नहीं होता देख, आरटीआई एक्ट 2005 का सहारा लिया है। उन्होंने जनता दरबार बिहार – CM व् ऑफिसर्स के कोविड टीका का कागजात RTI से मांगा है।
जनता दरबार बिहार- CM व् ऑफिसर्स के कोविड टीका
बिहार सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जनता दरबार का कार्यक्रम चलाया जाता है। जिसमें खुद मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जनता से समस्या सुनते हैं। जिसके लिए पहले ऑनलाइन आवेदन देना पड़ता है। श्री कुमार ने पटोरी, समस्तीपुर आशा फेसिलिटेटर बहाली में धांधली का आरोप लगा Appointment लिया था। उनका नंबर आने पर प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा कोविड जांच कराया गया। उनका जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के वावजूद कहा गया कि अगर आप कोविड टीका नहीं लगवायेंगे तो हम आपको जनता दरबार में नहीं जाने देंगे।
कोविड टीका नहीं लेने पर भेदभाव
अनिरुद्ध कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार के अनुसार कोविड टीका स्वैक्षिक है। मैं हमेशा आयुर्वेद और होमियोपैथ दवाओं का इस्तेमाल करता हूँ। मुझे अभी तक कभी भी कोविड की शिकायत नहीं रही। ऐसे में मुझे कोविड टीका नहीं लेने पर भेदभाव करते हुए जनता दरबार में जाने से रोका गया। हालांकि, उन्होंने अक्टूबर 2021 में ही बिहार सीएम से इसकी शिकायत की थी। जिसके बाद आज तक उस शिकायत पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। जिसकी जानकारी के लिए प्रधान सचिव से RTI लगाकर पूछा है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता बड़ा है कि नेता/अधिकारी? आम आदमी को जनता का दरबार में आने से पहले कोविड-19 रिपोर्ट और टीका चेक करते हैं। नीतीश कुमार बतायें कि आप या आपके अधिकारी खुद हर रोज का कोविड-19 जांच रिपोर्ट और टीका प्रमाण पत्र लेकर Janta Darbar में बैठते हैं? क्या आपके जदयू पार्टी कार्यालय में लोगों का कोविड-19 जांच रिपोर्ट और टीका प्रमाण पत्र अनिवार्य है? मैंने इन तमाम सवालों का जवाब आरटीआई के माद्यम से माँगा है। जिसका जवाब हर हाल में देना ही पड़ेगा।
जबरदस्ती वैक्सीनेशन अधिकारों का हनन – मेघालय हाईकोर्ट
अभी हाल ही में मेघालय हाईकोर्ट ने कहा कि अनिवार्य नहीं कर सकते वैक्सीन, जबरदस्ती वैक्सीनेशन किसी व्यक्ति के मूलभूत अधिकारों का हनन है। यही नहीं बल्कि माननीय सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि कोविड वैक्सीन स्वैक्षिक है। किसी को भी कोविड वैक्सीन जबरदस्ती नहीं दिया जा रहा है। जबकि शोसल मिडिया में कई कोविड टीका जबरदस्ती देने का वीडियो वायरल हो रहा है।
This forcible vaccination is totally illegal & a crime. The vaccine staff & their accomplices must be held to account https://t.co/UucPz5EWxC
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) December 25, 2021
जबरन टीकाकरण पूरी तरह से अवैध और अपराध
जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर लिखा, “यह जबरन टीकाकरण पूरी तरह से अवैध और अपराध है। वैक्सीन स्टाफ और उनके सहयोगियों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।” श्री भूषण एक जनहित याचिका दायर करने वाले हैं। जिसके लिए हमने उनको जबरदस्ती कोविड टीकाकरण से जुड़ी कई मामलों की जानकारी सबूत समेत दी है।
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Namaskar sir
Main acc cement works me contact worker hoo.
Mera d.o.j 01/06/2011 hai lekin beech me pf no.change karke 01/06/2017 se dusra pf no.de Diya gaya.fir 05/07/2021 se Naya no. De diya gaya.
Abhi mere uan me 3 pf no. Hai jinki d.o.j is prakar hai
1_ 01/06/211 To 01/06/2017
2_ 01/06/217 To 04/07/2021
3_ 05/07/2021 To till now
Lekin company record me d.o.j 01/06/2017 batai ja rahi hai
आप कॉन्ट्रैक्ट पर हैं तो ये हर साल आपका कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू करके आर्टिफिशियल तरीके से आपका डेट ऑफ़ जोइनिंग चेंज कर देते हैं. जो कि गैरकानूनी है मगर यह सरकारी विभागों में भी धरल्ले से होता है.