बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा 7 अन्य जगहों समेत पटोरी स्टेशन चौक से आरडब्लुडी सड़क भाया पुराना थाना पथ का शिलान्यास दिनांक- 20.08.2020 (सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार) को किया गया। एकरारनामा के अनुसार कार्यपूर्ण संवेदक (ठेकेदार) को दिनांक- 16.04.2021 तक करना था। जबकि संवेदक द्वारा ससमय कार्य नही किया। ऐसे में पटोरी में सड़क बनने लगा जब आरटीआई लगाकर पूछा। मगर आइये जानते हैं कि उसके बाद जूनियर इंजीनियर के ऊपर अनियमितता का आरोप क्यों लगा?
पटोरी में सड़क बनने लगा जब आरटीआई लगाया पूछा
बिहार विधान सभा चुनाव के पूर्व आचार संहिता के दौरान पटोरी स्टेशन चौक पर शिलान्यास का आरोप लगा था। जबकि चालाकी से शिलापट पर एक महीने पहले की तिथि अंकित किया गया था। जिसकी शिकायत हमने चुनाव आयोग से लेकर जिलाधिकारी समस्तीपुर को दिया मगर जांच अधिकारी द्वारा मामले को लीपा-पोती कर दिया गया।
अब जब पटोरी स्टेशन चौक से पुराना थाना रोड में 2 साल बीतने के बाद भी काम नहीं हुआ। ऐसे में श्री अनिरुद्ध कुमार उर्फ़ देवानंद (RTI Activist) ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत उक्त सड़क की स्थिति का विवरण मांगा। जिसके बाद जिला प्रशासन के हकरत में आते ही उक्त सड़क का काम शुरू हो गया। यही नहीं बल्कि ठेकेदार को समय पर काम नहीं पूरा करने के लिए नोटिस भी जारी किया गया है। (आरटीआई का जवाब पोस्ट के अंत में संलग्न है)
फेद बालु (गंगा बालू) का प्रयोग कर अनिमितता बरती
अब असली खेला यहां से शुरू हुआ। पटोरी में सड़क निर्माण/मरम्मति का काम शुरू हुआ तो उसमें सफेद बालु (गंगा बालू) का प्रयोग कर अनिमितता बरती जा रही थी। जिसकी लिखित शिकायत हमने दिनांक- 04.03.2022 समय 2ः30 दोपहर में कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग, कार्यप्रमंडल पटोरी कार्यालय को दिया।
ठेकेदार को काम रोकने के लिए बोल दिया
यही नहीं बल्कि इसी मुद्दे पर हमने दोपहर 4ः10 बजे श्री रवि रंजन, जूनियर, इंजीनियर से फोन पर बात किया तो उन्होंने कहा कि “उजला बालू का प्रयोग नहीं होगा। मैंने ठेकेदार को काम रोकने के लिए बोल दिया है”। जबकि हम जब कार्यस्थल पर पहुंचें तो जूनियर इंजिनियर ठेकेदार बात करने के बाद हमसे रूढ़ भाषा में कहने लगे कि “उजला बालू” से ही काम होगा।
आप ठेकेदार से रंगदारी मांग रहें- जूनियर, इंजीनियर
जब हमने एस्टीमेट की मांग की तो उन्होंने कहा कि RTI लगा लीजिए। यही नहीं बल्कि जूनियर इंजीनियर कहा कि हमने सुपौल में भी “उजाला बालू” से ही काम करवाया है। ऐसे में हम लोगों ने कहा की सीमेंट भी खराब है और आपको एस्टीमेट के अनुसार ही काम करवाना चाहिए। जबकि वो बार-बार बेरुखी और अभद्रता से बात करते रहें और जब हमने कहा कि आपकी शिकायत करेंगे तो वो धमकी देने लगे कि “आप ठेकेदार से रंगदारी मांग रहें हैं”। जबकि ठेकेदार ने इस बारे में हमारे द्वारा पूछने पर उसने रंगदारी मांगने की बात से इंकार किया। जिसका वीडियो प्रमाण हमारे पास है।
निर्माण कार्य में अनियमितता के संबंध में पब्लिक पेटिशन
यही नहीं बल्कि उस वक्त कार्यस्थल पर सैंकड़ों लोग मौजूद थें और सड़क निर्माण कार्य में अनियमितता के संबंध में एक पब्लिक पेटिशन भी दिया है। जिससे यह साबित होता है कि आरोपी जूनियर इंजीनियर द्वारा नियम को ताक कर रखकर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए ख़राब मेटेरियल से निर्माण कार्य करवाया जा रहा था।
यही नहीं बल्कि फोन कॉल पर स्वीकार भी किया है कि उसने सुपौल में “उजला बालू” प्रयोग में लाया है। जो कि स्टीमेट के विरुद्ध है और जांच की मांग करने पर रंगदारी मांगने का डर दिखाकर चुप करना चाहता था। जबकि एक लोक सेवक के लिए जनता के साथ इस तरह का व्यवहार ठीक नही है।
पटोरी में सड़क बनने लगा जब आरटीआई लगाकर पूछा फिर इंजीनियर ने जो किया?
बिहार के मुख्य्मंत्री से लेकर जिलाधिकारी समस्तीपुर
जिसकी शिकायत हमने फोन रिकॉर्डिंग के साथ व् पब्लिक पेटिशन बिहार के मुख्य्मंत्री से लेकर जिलाधिकारी समस्तीपुर व् अनुमंडलाधिकारी पटोरी को दिया है। हालांकि, शिकायत के बाद बालू तो बदल दिया गया है मगर जमे हुए सीमेंट से ही सड़क ढ़ाल दिया गया है। जो कि जांच से ही साबित हो पायेगा।
याद रखिए यह जनता के गाढ़ी कमाई के टेक्स का पैसा से सड़क निर्माण का काम होता है। जिस आपको ही धुप, बरसात में चलना है। जब सड़क बन रहा हो तो अपने अधिकार का प्रयोग करें और जनहित में गलत काम लूट-खसोट का विरोध करना सीखें। यह आपका हक़ और अधिकार है। आपकी चुप्पी उनकी ताकत है। जागो जनता जागो।
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