Labour Code Latest News – केंद्र सरकार के द्वारा 44 श्रम कानून को समाप्त कर 4 लेबर कोड में बदलने की दिशा में काम कर रही है। जिसको संसद को दोनों सदनों में पास करने के बाद लागू करने की बारी है। जिसके बाद भी लेबर कोड को लागू करने में केंद्र सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। कंपनियों के बाद अब मजदूर संगठनों ने लेबर कोड के कई प्रावधानों पर आपत्ति र्दज कराई है। आइये जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है?
Labour Code पर अब मजदूरों को आपत्ति क्यों?
मोदी सरकार के द्वारा केंद्र में सत्ता में आते ही 44 श्रम कानून को समाप्त कर लेबर कोड में परिवर्तित करने का ऐलान किया था। जिसके बारे में विभिन्न न्यूज पोर्टल और मीडिया के द्वारा प्रचार-प्रसार किया जाने लगा कि लेबर कोड के लागू होते ही पुरे देश में एक समान वेतन हो जायेगा। यही नहीं बल्कि अब तो यह भी कहा जाने लगा है कि मजदूरों को सप्ताह में मात्र 4 दिन काम और 3 दिन आराम दिया जायेगा। जिसकी सच्चाई हमने समय-समय पर बताया है।
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अब नवभारत की रिपोर्ट के अनुसार लेबर कोड के ड्राफ्ट पर सहमति बनाने पर केन्द्र सरकार की काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। कंपनियों के बाद अब मजदूर संगठनों ने लेबर कोड के कई प्रावधानों पर आपत्ति र्दज कराई है। इन संगठनों ने सरकार से साफ तौर पर कह दिया है कि कंपनी बंद करने को लेकर जो नए प्रावधान लेबर कोड में किए गए है, उनको सरकार को वापस लेना होगा। यह प्रावधान कर्मचारियों के हित में नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार लेबर कोड में कंपनी बंद करने से संबधित कानून में बदलाव का प्रस्ताव किया गया है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि जिस कंपनी में 300 या उससे कम कर्मचारी काम करते हो, उनको सरकार से बिना अनुमति लिए बंद करने की छूट मिलेगी। जबकि मौजूदा कानून में यह प्रावधान 100 या उससे कम कर्मचारी वाली कंपनी पर लागू होता है।
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मजदूर संगठनों का कहना कि कंपनी बंद करने से संबंधित कानून में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने से ज्यादा कंपनियां इसकी दायरे में आ जाएगी। ऐसे में कानूून का दुरूपयोग हो सकता है। बेहतर होगा कि इस कानून में बदलाव ना किया जाए। पुराने कानून को जारी रखा जाए। सूत्रों के अनुसार लेबर मिनिस्ट्री ने मजदूर संगठनों से उनकी मांग पर विचार करने का भरोसा जताया है।
लेबर कोड में कर्मचारी के वेतन
गौरतलब है कि कंपनियां, पहले ही लेबर कोड के कई प्रावधानों को लेकर अपनी चिंता से सरकार को अवगत करा चुकी है। कंपनियों का कहना है कि लेबर कोड में कर्मचारी के वेतन में मूल सैलरी यानी बेसिक सैलरी का हिस्सा 50 फीसदी करने का प्रावधान गया है। इससे कर्मचारी के इन हैंड सैलरी में कमी आएगी, मगर उसका पीएफ और पेंशन बढ़ जाएगा। मगर ऐसा करने से कंपनियों का बोझ बढ़ जाएगा।
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