दिल्ली लेबर कोर्ट CGIT-2 ने आज IRCTC पर साढ़े 10 हजार का जुर्माना लगाया है। जिससे कर्मचारियों के ख़ुशी की लहर दौड़ गई। आपको बता दें कि आईआरसीटी (India Railway Catering & Tourism Corporation Limited) ने नौकरी को परमानेंट की मांग के बाद 92+5 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था। जबकि उनका मामला उस लेबर कोर्ट दिल्ली में विचाराधीन था। जिस मामले में गवाही चल रही है।आखिर माननीय कोर्ट के आईआरसीटीसी प्रबंधन को साढ़े 10 हजार का जुर्माना कैसे और क्यों लगाया?
दिल्ली लेबर कोर्ट CGIT ने IRCTC साढ़े 10 हजार का जुर्माना
भारत सरकार के रेल मंत्रालय के अंतर्गत आईआरसीटीसी को E-Ticketing और खानपान का जिम्मा दिया गया है।दिल्ली के डीआरएम ऑफिस के नजदीक आईआरसीटीसी का ई-टिकटिंग सेंटर हैं। जिसमें तक़रीबन 3 से 10 साल से आउटसोर्स के नाम पर सैंकड़ों कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा था।
आईआरसीटीसी के शोषण के खिलाफ सर्वप्रथम सुरजीत श्यामल ने आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए 2013 में “समान वेतन” की मांग करते हुए आवाज उठाया। जिससे नाराज होकर प्रबंधकों ने सुरजीत को बिना किसी वार्निंग और बिना चार्जशीट के नौकरी से बर्खास्त कर दिया।
मगर एक बार जो शोषण के खिलाफ विरोध शुरू हुआ तो यही नहीं रुका, बल्कि सुरजीत ने कर्मचारियों को एकजुट कर यूनियन का गठन किया। जिसके बाद आईआरसीटीसी ई-टिकटिंग सेंटर के 266 कर्मचारियों के लिए सेवा नियमित की मांग उठाई गई। जिसके खिलाफ प्रबंधन ने भी अपनी ताकत दिखाई मगर कर्मचारियों की एकता के आगे उनकी एक न चली।
IRCTC E-Ticketing सेंटर का काम बंद
एकबार आउटसोर्स कर्मचारियों ने विरोध में 3 दिन तक पूरा IRCTC E-Ticketing सेंटर का काम बंद कर विरोध भी जताया। जिसके बाद IRCTC मैनेजमेंट को झुकना पड़ा था। मैनेजमेंट ने कस्टमर केयर का टेंडर कर आउटसोर्स करने की कोशिश की। जिसको दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनौती दी गई। आईटी सेंटर के कस्टमर केयर विभाग के तकरीबन 150 से अधिक कर्मचारियों की नौकरी 1 साल तक के लिए बच गई। मगर उनकी ख़ुशी ज्यादा दिन तक टिकी न रह सकी।
आईआरसीटीसी प्रबंधकों ने कुछ कर्मचारियों की मदद से अन्य 125 कर्मचारियों को गुमराह कर एक पेपर पर साइन ले लिया। जो कि बाद में उनके अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारना साबित हुआ। उन्होंने पेपर पर लिख कर दे दिया कि उनको सुरजीत श्यामल के यूनियन से और उनकी मांग से कोई मतलब नहीं है।
जिसके बाद कर्मचारियों का एकता में फुट की खबर लगते ही पहले 5 नेतृत्वकर्ता और फिर एक झटके में 92 कर्मचारियों को जनवरी 2015 में नौकरी से निकाल दिया। हालांकि उनके नौकरी पक्की करने का मामला लेबर कोर्ट में पेंडिंग था। जिसके बाद उनलोगों ने नौकरी से निकालने का भी केस दायर किया।
लेबर कोर्ट दिल्ली (CGIT-2) में तक़रीबन दो साल तक जज (Presiding officer) का पद खाली रहने और दो साल तक कोविड के कारण कोर्ट बंद रहा।अब जब कोर्ट खुला है तो कर्मचारियों के मामले में गवाही रही है। जिस सुनवाई के दौरान आईआरसीटीसी मैनेजमेंट के द्वारा गवाह को क्रॉस करने के लिए समय की मांग की गई। आईआरसीटी के 266 कर्मचारियों में केवल अब 11 कर्मचारी ही बचे हैं। जिनकी गवाही की प्रकिया तकरीबन पूरी हो चुकी है।
आईआरसीटीसी को साढ़े दस हजार रुपये का झटका
आईआरसीटीसी के लापरवाही/लेटलतीफी से नाराज हो माननीय कोर्ट ने अगले सुनवाई में आईआरसीटीसी को प्रति कर्मचारी प्रति केस 500-500 जुर्माना देने के बाद सुनवाई का मौका दिया जायेगा का आदेश दिया। जिसके बाद कुल मिलकर आईआरसीटीसी को साढ़े दस हजार रुपये का झटका लगा है। जो कि बिना वकील के सुरजीत के नेतृत्व में केस लड़ने वाले कर्मचारियों के लिए आपने आप में बड़ी उपलब्धि है।
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