भारत में बालिकाओं के लिए ये है कुछ सर्वोत्तम योजना, जानिए विस्तार से

भारत एक ऐसा देश है, जहां सदियों से बेटियों को बोझ समझा जाता है। लेकिन, अब बेटियां बोझ नहीं है, पढ़ाई से लेकर शादी तक की सारी टेंशन सरकार ने अपने ऊपर ले ली है। हम आज आपको अपने इस आर्टिकल में बेटियों के लिए, सरकार की सबसे बेहतर योजनाओं (Best Scheme for Girl Child in India) के बारे में बता रहे हैं।

Best Scheme for Girl Child in India

आपके पास भी बेटी है, तो अब आपको उसके चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। इन योजनाओं की मदद से देश की हर बेटी पढ़कर, अपने पैरों पर खड़ी हो पाएगी और अपने भविष्य को उज्जवल कर सकेगी।

बेटियों के लिए सरकारी योजना 2023

आइए जानते हैं पांच ऐसी सरकारी योजनाएं जो बेटियों के लिए लाभदायक-

सुकन्या। समृद्धि। योजना।

भारत सरकार के द्वारा  समय समय पर देश की बेटियों के सर्वांगीण विकास के लिए, नई योजनाएं लागू की जाती हैं। इससे देश की हर बेटी शिक्षित होकर अपने भविष्य निर्धारित कर पाएगी। वर्तमान समय में बालिकाओं का शिक्षित होना आवश्यक है। लेकिन कई बार ऐसा होता है, कि घर की आर्थिक तंगी की वजह से मां-बाप अपनी बालिका शिशु को शिक्षा का अधिकार नहीं दे पाते हैं। इसका जिम्मा अब सरकार के द्वारा उठाया गया है। इन्हीं योजनाओं में से एक योजना सुकन्या समृद्धि योजना है।

इस योजना के अंतर्गत बालिका के जन्म लेते ही उसे रजिस्टर करा सकते हैं, और बैंक में जाकर उसके नाम से अकाउंट खुलवा दे। इस खाते में  जन्म से लेकर 18 वर्ष तक इस योजना में माता-पिता के द्वारा निवेश किया जा सकता है। फिलहाल सुकन्या समृद्धि योजना पर सरकार की तरफ से 7.6 फ़ीसदी ब्याज मिल रहा है। सुकन्या समृद्धि योजना की मदद से अपनी बेटी के 18 वर्ष पूरे होने के बाद, या तो आप उस पैसे का इस्तेमाल उसकी उच्च शिक्षा के लिए कर सकते हैं, या शादी करने के लिए उन पैसों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

बालिका समृद्धि योजना।

इस योजना को भी भारत सरकार ने  शुरु किया है। बालिका समृद्धि योजना के लिए आप, आप घर के पास डाकघर या बैंक में खाता खुलवा सकते हैं। इस योजना में लड़कियों के जन्म के बाद से ₹500 की राशि अनुदान स्वरूप दी जाती है। इस योजना में निवेश करने पर सरकार की ओर से सालाना ब्याज दिया जाता है। इस राशि को लड़की के 18 वर्ष के होने बाद ही निकाला जाएगा।

मुख्यमंत्री लाडली योजना।

झारखंड सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री लाडली, योजना का शुभारंभ किया गया है। इस योजना में आप अपनी बेटी के नाम पर पोस्ट ऑफिस में बचत खाता खुलवा सकते हैं। और हर 5 साल में आपको इसमें ₹6000 तक की राशि जमा करनी होती है। इस राशि को आप बालिका के 18 वर्ष होने के बाद निकालकर इस्तेमाल कर सकते हैं।

समृद्धि योजना ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में उपलब्ध है। शिशु के जन्म लेने के बाद बालिका की मां को ₹500 दिए जाते हैं। जब शिशु बालिका का दाखिला विद्यालय में होता है, तो उसे प्रतिवर्ष 300 रुपए से लेकर, ₹1000 तक वार्षिक छात्रवृत्ति दी जाती है।

सीबीएसई उड़ान स्कीम।

भारतीय बालिका छात्रों के लिए सीबीएससी यानी, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से सीबीएससी उड़ान स्कीम शुरू की गई है। इस योजना का उद्देश्य भारत में प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग और तकनीकी कॉलेजों में बालिकाओं को संख्या को बढ़ाने,और दाखिले के उद्देश्य से की गई है। इस योजना के तहत समाज में आर्थिक रूप से पिछड़े हुई, बालिका छात्राओं को जो पढ़ने में होनहार है, का विशेष ध्यान रखते हुए, उन्हें आगे सीखने के लिए प्रेरित करने के लिए बनाया गया है।

सीबीएससी उड़ान स्कीम में कक्षा 11वीं और 12वीं की छात्राओं को मुफ्त पढ़ाई के सामान जिसमें वीडियो अध्ययन सामग्री शामिल है, मुहैया कराना सुनिश्चित किया गया है। 11वीं और 12वीं कक्षा की बालिकाओं के लिए सप्ताह के अंत में ऑनलाइन क्लासेस चलाई जा रही हैं। सीबीएसई से पढ़ने वाली होनहार बालिका के लिए सीखने और सलाह देने के नए अवसरों को इस स्कीम में जोड़ा गया है। छात्राओं को यदि किसी प्रकार की शिकायत है, तो उनके लिए भी सीबीएससी उड़ान स्कीम ने हेल्पलाइन जारी की है।

सीबीएससी उड़ान योजना का लाभ केवल भारत में रहने वाली छात्राओं को मिलेगा। सीबीएसई से मान्यता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 11वीं और 12वीं में पढ़ने वाली छात्राओं को इस योजना का फायदा उठाने के लिए फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथ स्ट्रीम में दाखिला लेना होगा। छात्राओं के परिवार की वार्षिक आय ₹600000 से अधिक नहीं होनी चाहिए। कुछ छात्राओं को विशिष्ट नियमों के तहत मेरिट पर भी चयनित किया जा सकता है। इस योजना के बारे में और अधिक जानने के लिए आप सीबीएससी से भी संपर्क कर सकते हैं।

धन लक्ष्मी योजना।

वर्ष 2008 से आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे परिवार जिनमें बालिकाओं के पालन पोषण के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता था, के लिए इस योजना को शुरू किया गया है। धनलक्ष्मी योजना को आंध्र प्रदेश,बिहार छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में लागू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य बालिका लिंग अनुपात के निम्न स्तर को सुधारने के लिए भी किया गया था। इस योजना में, जिन परिवारों में बालिका है, उन्हें आर्थिक सहायता देने के लिए कवायद की जा रही है। बालिका को प्रथमिक शिक्षा देना और उन्हें शैक्षिक रूप से सशक्त बनाना, इस योजना में शामिल है।

इस राज्य स्तर की योजना में, बालिका के जन्म के समय ₹5000 दिए जाते हैं। बालिका के, 6 सप्ताह के टीकाकरण के बाद ₹200, और 14 सप्ताह के टीकाकरण के बाद ₹200 मिलते हैं। टीकाकरण पूरा होने के बाद ₹250 मिलते हैं। प्रथमिक विद्यालय से लेकर कक्षा 8 पास करने तक ₹1000 से लेकर ₹750 तक की सहायता दी जाती है।

राष्ट्रीय प्रोत्साहन योजना। माध्यमिक शिक्षा योजना।

इस योजना की शुरुआत भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के, द्वारा बालिकाओं के स्कूली शिक्षा की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। इस योजना को भारत के पिछड़े वर्गों की लड़कियों को लाभ देने के लिए बनाया गया है। माध्यमिक शिक्षा योजना के तहत लड़कियों के लिए शिक्षा प्रोत्साहन की राष्ट्रीय योजना भारत सरकार के माध्यम से एससी एसटी वर्ग की लडकियों को मिलेगा। वे सभी लड़कियां जिन्होंने कक्षा 8 पास की है, उन्हें सरकार की तरफ से आर्थिक मदद दी जाएगी।

इसके अलावा यदि एससी एसटी वर्ग की लड़कियों ने, जो कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से आठवीं पास कर चुकी हैं, उन्हें भी इस योजना का फायदा मिलेगा। इस योजना में लड़कियों की आयु 16 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। यदि किसी छात्रा का विवाह हो चुका है, तो वह इस योजना के योग्य नहीं रहेंगे। इसके अलावा यदि किसी छात्रा को सी बी एस ई, और केवीएस से भी लाभ मिल रहा है, तो भी उन्हें इस योजना में शामिल नहीं किया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा के लिए लड़कियों के लिए प्रोत्साहन की राष्ट्रीय योजना में एक बार छात्रा का चयन हो जाने के बाद, सरकार की तरफ से बालिका के खाते में ₹3000 सावधि जमा किया जाता है, और जब छात्रा दसवीं कक्षा की परीक्षा पास कर लेती है, तथा 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेती है, तो उसे यह राशि ब्याज के साथ दे दी जाती है।

हरियाणा सरकार, की लाडली योजना।

हरियाणा में बालिकाओं की दयनीय स्थिति को देखते हुए, हरियाणा सरकार की तरफ से लाडली योजना का शुभारंभ किया गया। इस योजना में यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है, कि समाज में बालिकाओं के प्रति मानसिकता को बदला जाए। कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक कुरीतियों को जड़ से खत्म किया जाए। हरियाणा सरकार की लाडली योजना को वर्ष 2015 में शुरू किया गया है।

इस योजना में ऐसे परिवार जिनमें दूसरी बेटी का जन्म हुआ है। उन्हें ₹5000 के आर्थिक मदद प्रदान की जाती है। यह राशि बालिका और उसके माता और पिता के नाम पर एक किसान विकास पत्र के रूप में निवेश किया जाता है, और यह निवेश बालिका को ब्याज सहित उसके परिवार को दी जाती है। जब बालिका 18 वर्ष की आयु पूरी कर लेती है।

हरियाणा सरकार की इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए आप अपने नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र में संपर्क कर सकते हैं। वहां जाकर आपको एक फॉर्म भरना है, जिसमें फॉर्म के साथ पहले और दूसरे बालिका के जन्म प्रमाण पत्र जमा कराने हैं। लाडली योजना में ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है।

भाग्यश्री योजना।

भाग्यश्री योजना को कर्नाटक सरकार ने राज्य स्तर पर शुरू किया है। इस योजना में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों में बालिकाओं के जन्म को बढ़ावा देने के लिए निर्देशित किया गया है। इस योजना में बालिकाओं को आर्थिक सहायता दी जाती है। बालिका के जन्म के समय पर उसका ₹25000 तक का स्वास्थ्य बीमा कराया जाता है, और बालिका को पढ़ाई के लिए कक्षा दसवीं तक प्रतिवर्ष ₹1000 तक की छात्रवृत्ति दी जाती है।

भाग्यश्री योजना में बीपीएल परिवार की बालिकाओं को लाभ मिलता है। इस योजना में बालिकाओं का जन्म 31 मार्च 2006 के बाद होना सुनिश्चित है। बालिका के जन्म के 1 साल बाद तक नामांकन की अनुमति प्रदान की गई है, और यह योजना में एक परिवार की दो बच्चियों को शामिल किया गया है। इसके अलावा लाभार्थी को अन्य आर्थिक सुविधाएं भी दी जाती हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें राज्य सरकार की तरफ से जारी दिशानिर्देशों को पूरा करना होगा।

कन्याश्री प्रकल्प योजना

कन्याश्री प्रकल्प योजना की शुरुआत पश्चिम बंगाल कि राज्य सरकार की तरफ से की गई है। सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की लड़कियों की स्थिति में सुधार करने के लिए शुरू किया गया है। इस योजना में पश्चिम बंगाल महिला विकास और समाज कल्याण विभाग की तरफ से आर्थिक रूप से, कमजोर बालिका जिसकी वर्ष की आयु 13 से 18 वर्ष के बीच है, उन्हें ₹750 की छात्रवृत्ति प्रतिवर्ष दी जाती है, इसके अलावा 18 से 19 वर्ष के बीच की बालिकाओं को अनुदान दिया जाता है।

योजना के तहत परिवार से केवल एक छात्रा को यह लाभ मिलेगा। लाभार्थी को पश्चिम बंगाल का स्थाई निवासी होना चाहिए और उसके स्थानीय क्षेत्र में बैंक खाता होना चाहिए। बालिका एक शैक्षिक संस्थान में रजिस्टर्ड होनी चाहिए तथा लड़की का विवाह नहीं हुआ होना चाहिए। लड़की विवाहित नही हो, परिवार की वार्षिक आय ₹1,20,000 से अधिक नहीं होनी चाहिए।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है, कि भारत में धीरे-धीरे लड़कियों की स्थिति बदल रही है। उन्हें परिवार के साथ साथ सरकारों का भी समर्थन मिल रहा है। जिससे लड़कियों के भीतर अपने भविष्य को लेकर आत्मविश्वास जगह है। लड़कियों की पढ़ाई से लेकर शादी होने तक या उनके करियर बनने तक कदम कदम पर सरकार ने ऐसी योजनाओं को चलाया है। जिससे लड़कियां अपने पैरों पर खड़ी हो सके और समाज और देश की आर्थिक भलाई के लिए कार्य कर सके।

FAQs:- 

Q-क्या बालिका योजनाएं सभी लड़कियों के लिए उपलब्ध है?
Ans- हां, भारत में आर्थिक और सामाजिक रुप से कमजोर छात्राओं के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से अलग-अलग योजनाएं उपलब्ध हैं।

Q-क्या 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद भी लड़कियों के लिए योजनाएं उपलब्ध है?
Ans-18 वर्ष की आयु पूर्ण हो जाने के बाद लड़कियों के लिए योजनाएं उपलब्ध नहीं है।

Q-भारत सरकार की तरफ से बालिका शिशु के लिए कौन सी योजनाएं चलाई जा रही हैं?
Ans- भारत सरकार की तरफ से बालिका शिशु के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ,सुकन्या समृद्धि योजना, धन लक्ष्मी योजना जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं।

Q- भारत में शिशु बालिका के लिए योजनाएं क्यों चलाई जा रही हैं?
Ans- भारत में शिशु बालिका योजनाएं लड़कियों की घटती संख्या और सामाजिक सोच में सुधार लाने के लिए चलाई जा रही हैं।

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