देश में अकसर महिलाओं को प्रेगनेंसी के कारण नौकरी से हाथ धोना पड़ता है। महिलाओं को प्रेगनेंसी के कारण नौकरी से वंचित रखने के मामले में हाईकोर्ट ने 27.07.2024 को एक महत्वूर्ण फैसला दिया। आइये जानते हैं कि आखिर वो पूरा मामला क्या है?
महिलाओं को प्रेगनेंसी के कारण नौकरी से वंचित नहीं
रेलवे पुलिस फोर्स में कांस्टेबल की भर्ती के लिए ईशा को प्रेगनेंसी के कारण वंचित कर दिया गया था। आरपीएफ के उस आदेश को ईशा ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिसके बाद माननीय हाईकोर्ट ने न केवल ईशा को नौकरी बहाल करने का आदेश जारी किया, बल्कि सरकार को 1 लाख का जुर्माना भी लगा। आइये विस्तार से जानते हैं कि पूरा मामला क्या है और माननीय कोर्ट ने अपने उस आदेश में और क्या कहा? यही नहीं बल्कि उक्त आदेश का कॉपी आपको हमारे पोस्ट में लास्ट में मिल जायेगा
पूरा मामला क्या है?
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस रेखा पल्ली व जस्टिस शालिंदर कौर की बेंच ने महिलाकर्मियों के पक्ष में महत्वपूर्ण फैसला दिया है। जिसमें उम्मीद जताई है कि भविष्य में कोई भी नियोक्ता किसी भी महिला को प्रेग्नेंसी के आधार पर नौकरी से वंचित नहीं करेंगे।
ईशा जो कि RPF/ RPSF में कॉन्स्टेबल के रूप में भर्ती होना चाहती थी। जबकि मेरिट लिस्ट में नाम आने के बावजूद उन्हें नियुक्ति से रोक दिया गया, क्योंकि वह 20 अप्रैल 2019 में फिजिकल एफिशिएंसी और मेजरमेंट टेस्ट में अपने प्रेग्नेंसी के कारण भाग नहीं ले सकीं थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आरपीएफ आसानी से याचिकाकर्ता के लिए पीईटी को स्थगित कर सकती थी, जिसने अधिकारियों को अपनी गर्भावस्था और ऊंची और लंबी कूद करने में असमर्थता के बारे में सूचित किया था।
जिसको ईशा ने हाईकोर्ट में चुनौती दिया था। जिसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को 1 लाख रूपये का हर्जाना लगाते हुए आरपीएफ को याचिकाकर्ता से 6 हप्ते ही अंदर PET, PMT लेने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा, “गर्भावस्था के आधार पर भेदभाव किसी महिला के करियर की आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के अधिकार में बाधा नहीं बननी चाहिए।”
महिलाओं को प्रेगनेंसी के कारण नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता, हाईकोर्ट
माननीय कोर्ट में अपने आदेश में कहा कि अगर याचिकाकर्ता सभी शर्तों को पूरा करते हुए टेस्ट में पास हो जाती है तो उतरदातों के द्वारा उसको आरपीएफ/आरपीएसएफ कांस्टेबल के रूप में पूर्व से मिलने वाले लाभों के साथ नियुक्त किया जायेगा। जिसके साथ ही याचिकाकर्ता को स्वेक्षा से 50 फीसदी बकाया वेतन भी दिया जायेगा। साथ ही कोर्ट ने उक्त रकम को उस महिला के खाते में जमा कराने को कहा, जो दिल्ली हाईकोर्ट परिसर में छत से टाइल गिरने से जख्मी हो गई थी।
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