बिहार भूमि सर्वे में अनियमितता के खिलाफ आंदोलन शुरू, जानिए क्या है मांगें

Bihar Land Survey 2024: बिहार सरकार के द्वारा राज्य में भूमि सर्वे शुरू किया गया है। बिहार भूमि सर्वे में अनियमितता के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया है। जिसमें समस्तीपुर जिले के पटोरी अनुमंडल कार्यालय का घेराव 23 सितंबर 2024 को किया गया। आइये जानते हैं कि आखिर आंदोलनकारी सरकार से क्या मांग कर रहे हैं?

बिहार भूमि सर्वे में अनियमितता के खिलाफ आंदोलन?

बिहार सरकार का मानना है कि भूमि सर्वेक्षण से वो हमारे जमीन का रिकार्ड उपडेट करेंगें ताकि लोगों को खरीद-बिक्री में आसानी हो सके और भूमि विवाद कम हो सके। जबकि सुरजीत श्यामल संयोजक, नागरिक संघर्ष मोर्चा ने बताया कि सरकार के द्वारा भूमि सर्वेक्षण में जो अनियमितता बरती जा रही है। जिससे आने वाले समय में पारिवारिक सामाजिक विवाद व हिंसा काफी बढ़ेगा। जिसके खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंका गया है।

विगत 23 सितंबर को नागरिक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले पटोरी स्टेशन चौक से पैदल मार्च कर आंदोलनकारी पटोरी अनुमंडल कार्यालय पहुंचें। जहां जुलूस जुलिस आमसभा में तब्दील हो गया। सभा की अध्यक्षता श्री अनुरुद्ध कुमार तो संचालन जितेंद्र कुमार ने की। सभा को सम्बोधित करते हुए सुरजीत श्यामल ने बताया कि बिहार सरकार ने भूमि सर्वे के ऑनलाईन/ऑफलाईन अप्पलाई के लिए केवल आधार का ऑप्शन दिया है, जो कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का अवहेलना हैै। जिसमें सरकारी लाभ के लिए ही आधार कार्ड को जरूरी बताया गया था।

यही नहीं बल्कि माननीय कोर्ट के आदेश के खिलाफ जबरन बैंक से आधार का लिंकिंग और उससे होने वाले फ्रॉड से आम आदमी निकल नही पा रहा है, जबकि सरकार के द्वारा जमीन को आधार से जोड़ने और जमीन की ऑनलाईन खरीद ब्रिकी की शुरुआत करने की बात चल रही है। जिससे आने वाले समय में आम अनपढ़ जनता को इसका भी भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

पुराना खतियान नहीं मिल रहा

जिनके पास खतियानी जमीन है, उनको सरकारी रेकार्ड रूम में पुराना खतियान नहीं मिल रहा है। बिहार सरकार ने जो खतियान ऑनलाईन उपलब्ध कराया है या तो वो अधुरा है या मिटा हुआ है। ऐसे में खतियानी जमीन वाले आमजन/किसानों को अपना जमीन को अपना साबित करने के लिए कोई अन्य उपाय नहीं है। जिससे संभव अनुमंडल क्षेत्र के ऐसे लोग सरकारी लापरवाही के कारण अपना जमीन को साबित नहीं कर पायें।

उन्होंने आगे बताया बिहार सरकार पटोरी, पुराना कैडस्ट्रल सर्वे के आधार पर तो प्रखंडों क्रमशः मोहनपुर में नया रिविजीनल सर्वे और मोहिउद्दीन नगर में दोनों के आधार पर अभी विशेष सर्वे करवाने जा रही है। जबकि बिहार सरकार ने खुद ही आरटीआई में स्वीकारा है कि रिविजीनल सर्वे की मान्यता से संबंधित गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित ही नही किया गया।

जबकि हैरानी की बात है कि उसी रिविजीनल सर्वे के आधार पर कई जगहों खरीद-ब्रिकी और दाखिल-खारिज तक हुआ है। ऐसे में बिहार सरकार को उन फर्जी दाखिल-खारिज को रद्द कर रिकार्ड सुधार की जरूरत है, नही तो वर्तमान सर्वे के बाद हर घर में आपसी विवाद बढ़ेगा और इस तरह की अनियमितताओं से समाज में अशांति फैलेगी, जो कि एक सम्य समाज और लोक कल्याणकारी राज्य के लिए उचित नही है।

बिहार भूमि सर्वे में अनियमितता के खिलाफ आंदोलन शुरू, जानिए क्या है मांग

अपने 6 पेज के पब्लिक पेटिशन में बरती जा रही अनियमितता को विस्तार से बताया है. जिसको आप ऊपर यूट्यूब लिंक के माध्यम से देख सकते हैं। आपने लिखित आवेदन के माध्यम से पटोरी अनुमंडल कार्यालय के समक्ष जनसभा के माध्यम से बिहार सरकार से उपरोक्त सभी सुधारों के साथ निम्न मांग किया गया है-

  1. बिहार सरकार पहले तो रैयती जमीन से संबंधित रिकार्ड दुरुस्त करे।
  2. रैयतों को पुराना खतियान, पुराना से पुराना केवाला और जमाबंदी का नकल उपलब्ध कराना सुनिष्चित करे
  3. बिहार सरकार खतियान और जमीन का अन्य कागजात कैत्थी, उर्दू, फारसी व अन्य भाषा में है, जिसको पढ़वाने के लिए ट्रांसलेटर की व्यवस्था अंचल स्तर सुनिश्चित करे।
  4. आम जनता को कागज, सबूत इकट्ठा करने के लिए 2 साल का समय निर्धारित करे।
  5. भूमिहीन परिवारों के लिए सरकारी भूमि पर बसे आवासीय भूमि को उनका स्वामित्व घोषित करे।
  6. लगान जमा कराने में अफरातफरी का माहौल को नियंत्रित करे तथा षोषण मुक्त मालगुजारी वसूली की गारंटी सुनिश्चित करे।

यह कि उपरोक्त मांगों को पूरा होने तक के लिए बिहार सरकार विषेष सर्वे पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाए, ताकि भविष्य में जनहित में आम आदमी के पक्ष में न्यायपूर्ण भूमि सर्वेक्षण का काम पूरा किया जा सके। धरने को सुधीर कुमार, अविनाश कुमार, विक्रम कुमार, शिवनाथ आदि ने भी सम्बोधित किया।

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