बिहार भूमि सर्वे की अनियमितता के खिलाफ पटोरी अनुमंडल घेराव का फैसला

बिहार सरकार के द्वारा भूमि सर्वेक्षण 2024 का काम शुरू किया गया है। जिसके बाद पुरे बिहार के साथ समस्तीपुर जिले के पटोरी अनुमंडल अंतर्गत निवासी के ऊपर भी मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा। जिससे निपटने के लिए कल धमौन निरंजन स्थान के प्रांगण में एक आम बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें बिहार भूमि सर्वे की अनियमितता व मांगों के लिए पटोरी अनुमंडल घेराव का फैसला लिया गया।

बिहार सरकार का मानना है कि वो भूमि सर्वेक्षण से आपकी जमीन का रिकार्ड यानी खतियान उपडेट करेंगें ताकि लोगों को खरीद-बिक्री में आसानी हो सके और भूमि विवाद कम हो सके। जबकि यह तभी संभव है जब सरकार के पास खुद का रिकार्ड सही हो।

बिहार सरकार ने भूमि सर्वे के ऑनलाईन अप्पलाई के लिए केवल आधार का ऑप्शन दिया है। जो कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अवहेलना हैै। जिसमें सरकारी लाभ के लिए ही आधार को जरूरी बताया गया था। माननीय कोर्ट के आदेश के खिलाफ बैंक से आधार का लिंकिंग और उससे होने वाले फ्रॉड से आम आदमी निकल नही पा रहा है, जबकि सरकार के द्वारा जमीन को आधार से जोड़ने और जमीन की ऑनलाईन खरीद ब्रिकी की शुरुआत करने की बात चल रही है।

जिनके पास खतियानी जमीन है, उनको खतियान नही मिल रहा है। बिहार सरकार ने जो खतियान ऑनलाईन उपलब्ध कराया है या तो वो अधुरा है या मिटा हुआ है। ऐसे में खतियानी जमीन वाले रैयत को अपना जमीन को अपना साबित करने के लिए कोई अन्य उपाय नही है। जबकि अगर आपके खतियानी जमीन को किसी ने रिविजिनल सर्वे में अपने नाम करवा लिया और दाखिल-खारिज करवा लिया तो अभी के सर्वे में आप अपना जमीन खो देेगें या विवाद उत्पन्न हो जायेगा। जिससे सरकार आसानी से आम आदमी के जमीन को होल्ड कर सकती है और यह कह सकती है कि जाईये और कागज लेकर आईये और जमीन ले जाईए।

अभी तक समस्तीपुर में दो सर्वे की जानकारी बंदोबस्त विभाग ने आरटीआई मे दिया है। जिसमें एक आजादी से पहले कैडस्टल सर्वे और दूसरा 1960 में रिविजिनल सेर्वे। यही नही बल्कि सरकार ने यह भी बताया कि रिविजिनल सेर्वे के मान्यता से जुड़ा गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित नही किसा गया है। जबकि समस्तीपुर के अलग-अलग अंचल में गैर कानूनी तरीके से रिविजिनल सेर्वे के आधार पर न के केवल दाखिल-खारिज करवाया गया बल्कि अभी वर्तमान में विशेष सर्वे 2024 भी करवाया जाना है।

यह कि यही नही बल्कि पटोरी अंचल में तो किसी अंचलाधिकारी ने कभी सीएस यानी कैडस्टल सर्वे और किसी सीओ ने रिविजिनल सेर्वे के आधार पर दाखिल खारिज किया है। ऐसे में जब तक सरकार के रिकार्ड में सुधार नही किया जाता तब तक सही और न्यायपूर्ण भूमि सर्वे का काम संभव ही नही है।

ललनटॉप के खबर के अनुसार बिहार सरकार का 113 एकड़ सरकारी जमीन गायब हो गया है। जिसमें से बड़ी मुश्किल से सरकार के पर्यटन विभाग ने 100 एकड़ जमीन खोज लिया है। जिसको खोजने के लिए सरकार आम जनता को बिना पूर्व तैयारी के या आम किसान मजदूरों को समय दिये बिना आनन-फानन में भूमि सर्वे करवाना चाहती है। जिससे आने वाले समय में आपसी वाद-विवाद काफी बढ़ जायेगा।

यह कि खतियान और जमीन का अन्य कागजात कैत्थी, उर्दू, फारसी व अन्य भाषा में है। जिसको पढ़वाने के लिए ट्रॉंस्लेटर की व्यवस्था सरकार को अंचलवाईज करना चाहिए, जबकि ऐसा नही किया गया। ऐसे तो नियमतः अमीन को अपने मौजा क्षेत्र में केैंप लगाकर रैयत से फार्म जमा लेना है, जबकि वह किसी भी मौजा में उपलब्ध ही नही है। रैयत खतियान के लिए बंदोबस्त कार्यालय, दरभंगा व जिला समस्तीपुर मेें चक्कर लगा रहे हैं, जबकि उनको खुलेआम घूस लेकर भी कागज नही मिल पा रहा है।

बिहार भूमि सर्वे की अनियमितता के खिलाफ पटोरी अनुमंडल घेराव का फैसला

पटोरी अनुमंडल अंतर्गत पांच पंचायत के धमौन गांव में सुरजीत श्यामल की अध्यक्षता और अनुरुद्ध कुमार के मंच संचालन में मीटिंग में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि-

  1. बिहार सरकार अपना रिकॉर्ड दुरुस्त करे।
  2. हमें पुराना खातियान पुराना केवाला उपलब्ध करावे।
  3. जिसके बाद आम जनता को कागज इकट्ठा करने के लिए 2 साल का समय दिया जाए,

तब तक के लिए सर्वे पर रोक लगाया जाए। अपनी मांग को सरकार तक पहुंचाने के लिए आगामी 23 सितम्बर 2023 दिन सोमवार को नागरिक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले 10 बजे पटोरी अनुमंडल कार्यालय का घेराव किया जायेगा। श्री श्यामल ने सभी लोगों से निवेदन किया है कि अपनी जमीन बचाने के लिए अधिक से अधिक संख्या में शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भाग लें।

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